Wednesday, August 1, 2007

भावनाओं के साथ नृशंस खिलवाड़


साथियों,
आज-कल Tv चैनलों पर एसएमएस के जरिए कई प्रकरणों पर लोगों की राय मांगी जाती है, चाहे वो सूरज का गड्ढे में गिरने का मामला हो या १२ साल के बच्चे को चोर बता कर शहर भर में सार्वजनिक तौर पर शर्मशार करने और पीटने का मामला अथवा ताज को विश्व के सात आश्चर्यों में शामिल किए जाने का मामला।

अब सवाल ये उठता है कि क्या इस तरह कि ख़बरों से सनसनी फैला कर वास्तव में देश, समाज या व्यक्ति का भला हो रहा है अथवा सच में देश गौरवान्वित हो रहा है या नहीं, या फिर टेलीफोन कंपनियों से सौदेबाजी कर कमाने खाने का जुगाड़। लेकिन, दोनों ही स्थितियों में यह भावनात्मक तौर पर अत्यंत खतरनाक है, क्योंकि इन घटनाओं से एक ओर जहाँ हमारी संस्कृति को ठेस पहुँचती है, वहीं देश और समाज को भी शर्मशार होना पड़ता है।

जबकि, दूसरी स्थिति में अगर यह अपनी जेब भरने का मामला हो, तो यह देशवासियों की भावनाओं के साथ खतरनाक खिलवाड़ ही तो है। क्योंकि, भारत की पहचान आज भी दुनियां में एक सहृदयी राष्ट्र की है, जहाँ ज़्यादातर लोग भावनाओं के वशीभूत हो फैसले करते हैं।

ऐसे में, कुछ लोग चंद रुपयों के खातिर हमारे देश व समाज की भावनाओं के साथ नृशंस खिलवाड़ करते हैं, जो आने वाले समय की भयावहता का संकेत देता है। यदि समय रहते इस तरह की गतिविधियों के प्रति सतर्क नहीं हुआ गया, तो वह दिन दूर नहीं जब हम भी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को पार कर इन्हीं नृशंसों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे।

तो इस मुद्दे पर आपका क्या कहना है...?

आप अपने विचारों से हमें तत्काल अवगत कराएं, साथ ही हमें इस लेखनी को प्रभावी बनाने संबंधी सुझाव भी भेजें.... । ...आपका,

सर्वेश...

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