Saturday, August 18, 2007

सरहदें नहीं जानता साहित्य...



पाकिस्तान में हिन्दी भाषा के जानकार दूर-दूर तक नहीं मिलेंगे, लेकिन अनूदित हिन्दी साहित्यिक पुस्तकों और मासिक पत्रों को पढ़ने वाले कई मिल जाएँगे। कराची में हिन्दी भाषा सीखने में भी लोगों की रुचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। कराची में हिन्दी उपन्यास, लघु-कहानी और आत्मकथा का उर्दू भाषा में अनुवाद किया जाता है। भारतीय लेखक निर्मल वर्मा, उदय प्रकाश, प्रेमचंद, रमेश बख्शी और गीतांजलीश्री लोकप्रिय हैं।सिटी प्रेस के मालिक और हिन्दी उपन्यास और लघु-कहानियों का उर्दू में अनुवाद करने वाले अजमल कमाल का कहना है कि हिन्दी साहित्य और विशेष रूप से हिन्दी उपन्यास बहुत बेहतरीन और प्रभावशाली होते हैं। उन्होंने बताया कि मैं हर महीने भारत से साहित्यिक पत्रिका 'तदभव' मँगवाता हूँ और यहाँ उसका उर्दू भाषा में अनुवाद करता हूँ। इस पत्रिका को कराची में बहुत पसंद किया जाता है।अजमल ने बताया कि उन्होंने भारतीय लेखक उदय प्रकाश की बहुत सी किताबें उर्दू में अनुवाद करके छापी हैं। वे अपनी साहित्यिक पत्रिका 'आज' में भी हिन्दी लघु-कहानियों का अनुवाद करके शामिल करते हैं।हिन्दी भाषा से उर्दू में अनुवाद करने वाले आमिर अंसारी ने कहते हैं कि मैंने हिन्दी की काफी किताबों का उर्दू में अनुवाद किया है। मैंने यशपाल के उपन्यास 'झूठा सच' का उर्दू में अनुवाद किया था जो कराची के बाजारों में बहुत बिका। उन्होंने बताया कि उन्होंने ही निर्मल वर्मा की हिन्दी की लघु कहानियों के पूरे वॉल्यूम का अनुवाद किया था, जो सिटी प्रेस ने छापा था और लोगों ने बहुत पसंद किया। कराची में किताबों की सबसे बड़ी मार्केट 'उर्दू बाजार' में अली बुक स्टोर के मालिक शहजाद ने बताया कि बहुत से पाठक हिन्दी उपन्यास और लघु-कहानियों की माँग करते हैं, जिनका उर्दू में अनुवाद किया हुआ होता है। उन्होंने बताया कि आजकल दुकानों पर प्रेमचंद और उदय प्रकाश जैसे लेखकों की पुस्तकें अधिक बिकती हैं। हिन्दी साहित्य के पाठक अब्दुल वहीद ने कहते हैं कि मैं तो हिन्दी साहित्य का दीवाना हूँ और मैंने हाल ही में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएँ और यशपाल का 'झूठा सच' उपन्यास पढ़ा है।वहीद ने हिन्दी-उर्दू बोल-चाल पर किताब खरीदते हुए बताया कि उन्हें हिन्दी भाषा सीखने का बहुत शौक है इसलिए वे यह किताब खरीद रहे हैं। हिन्दी प्रेमी- उर्दू बाजार में ही वेलकम बुक स्टोर के निसार अहमद ने बताया कि जब से पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध ठीक हुए हैं और थार एक्सप्रेस चलने से दोनों देशों के लोगों का आना-जाना शुरू हुआ है, तब से कराची के लोगों में हिन्दी भाषा सीखने की रुचि बढ़ी है। उनका कहना था कि हमारी दुकान पर अधिकतर लोग हिन्दी-उर्दू बोलचाल और हिन्दी-उर्दू शब्दकोश खरीदने आते हैं। मजेदार बात यह है कि उनमें बड़ी संख्या युवकों की होती है। उन्होंने कहा कि आजकल राजा राजेश्वर का 'हिन्दी-उर्दू शब्दकोश' बहुत बिक रहा है, जिसको 'अन्जुमने तरक्की उर्दू' कराची ने छापा है। बुक स्टोर पर राजेश्वर का शब्दकोश खरीदते हुए एक नौजवान फराज ने बताया कि हमारे रिश्तेदार उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहते हैं और मेरा परिवार हर साल भारत जाता है। एक-दो बार मैं भी गया हूँ और इसलिए मन में इच्छा है कि हिन्दी भाषा बोलूँ और ठीक तरीके से लिखूँ। फराज का कहना था कि भारत एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक देश है और वह तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत बहुत जल्द विश्व के विकसित देशों की सूची में आ जाएगा और वहाँ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। फराज का कहना था कि मैं इसलिए थोड़ी बहुत हिन्दी सीख रहा हूँ, ताकि मुझे वहाँ काम करने में कठिनाई न हो।