हाल ही में हुए हैदराबाद में भीषण बम विस्फोटों ने ४० से अधिक जानें ली हैं, लेकिन अपने शांतिदूत प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के कानों तक शायद इन धमाकों की धमक नहीं पहुंच पा रही है।
देश में धमाकों की संख्या बढती जा रही है लेकिन सरकार की तो मानों नीद ही नहीं टूट रही ऐसे में पकिस्तान के साथ साथ बांग्लादेशियों के भी सिर उठने लगे हैं । देश में बंग्लादेशी आतंकियॉ की वारदातें बढ़ती जा रही हैं लेकिन सरकार ने जैसे चेतावनी तक नहीं देने की क़सम खा रखी है।
हां, यहाँ एक बात अवश्य है कि आतंकियों को काफी सहूलियत हो गयी है और भारत उनके लिए एक बेहतर आरामगाह और उनकी दुकान बढ़ाने वाला देश साबित हो रहा है। अब उन्हें कहीं छिपने बचने या किसी से डरने की आवश्यकता नहीं रही, वो आराम से आज़ाद भारत में पूरी आजादी के साथ दहशत फैला सकते हैं और कभी मुम्बई कभी दिल्ली कभी बनारस तो कभी हैदराबाद को निशाना बना सकते हैं।
लेकिन आतंकिओं से एक चूक ज़रूर हो गयी की उनके द्वारा संसद पर किया गया हमला नाकाम हो गया वरना देशवासियों को अगली सरकार चुनने में कम तकलीफ होती क्योंकि उम्मीदवार जो कम बचते...! बल्कि ये भी हो सकता है की भाई बिरादारों पर दया आ गयी हो और उन्होंने अपने भाईयों को ना मारने का फैसला कर लिया हो, जिससे शायद संसद पर हमला नाकाम रह गया हो या आतंकियों ने खुद हमला नाकाम कर दिया हो..!
खैर..! आतंकियों का खुदा उन्हें सदबुद्धि दे की वो अगली बार जब संसद पर हमला कराएं तो वो हमला ज़रूर सफल हो..!
देश में धमाकों की संख्या बढती जा रही है लेकिन सरकार की तो मानों नीद ही नहीं टूट रही ऐसे में पकिस्तान के साथ साथ बांग्लादेशियों के भी सिर उठने लगे हैं । देश में बंग्लादेशी आतंकियॉ की वारदातें बढ़ती जा रही हैं लेकिन सरकार ने जैसे चेतावनी तक नहीं देने की क़सम खा रखी है।
हां, यहाँ एक बात अवश्य है कि आतंकियों को काफी सहूलियत हो गयी है और भारत उनके लिए एक बेहतर आरामगाह और उनकी दुकान बढ़ाने वाला देश साबित हो रहा है। अब उन्हें कहीं छिपने बचने या किसी से डरने की आवश्यकता नहीं रही, वो आराम से आज़ाद भारत में पूरी आजादी के साथ दहशत फैला सकते हैं और कभी मुम्बई कभी दिल्ली कभी बनारस तो कभी हैदराबाद को निशाना बना सकते हैं।
लेकिन आतंकिओं से एक चूक ज़रूर हो गयी की उनके द्वारा संसद पर किया गया हमला नाकाम हो गया वरना देशवासियों को अगली सरकार चुनने में कम तकलीफ होती क्योंकि उम्मीदवार जो कम बचते...! बल्कि ये भी हो सकता है की भाई बिरादारों पर दया आ गयी हो और उन्होंने अपने भाईयों को ना मारने का फैसला कर लिया हो, जिससे शायद संसद पर हमला नाकाम रह गया हो या आतंकियों ने खुद हमला नाकाम कर दिया हो..!
खैर..! आतंकियों का खुदा उन्हें सदबुद्धि दे की वो अगली बार जब संसद पर हमला कराएं तो वो हमला ज़रूर सफल हो..!
2 comments:
बहुत अच्छ़े विच़ार हैं आपके। मेरा मानना है कि आतंकवाद को रोकने के लिये सरकार और नेताओं के साथ ही जनता को भी जागरुक होना होगा। यह अकेले का युद्ध नहीं है।
ऐसे ही लिखते रहें।
विवेक गुप्ता भोपाल
please update ur blog bhai jaan
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