
पहले तो यह विरोध का तरीका कुछ समझ में भी आया, लेकिन अब तो जिसे देखो, जहां देखो, जिस किसी पर देखो...जूता फेंकते नजर आ जा रहा है। क्या यही सही तरीका है, विरोध जताने का...
यहां तक तो ठीक है कि राजनेता किसी के नहीं होते, लेकिन हमारी अपनी भी तो एक संस्कृति, एक मर्यादा और सामने वाले की भी एक पद की गरिमा है। कम से कम सस्ती लोकप्रियता और ओछे प्रचार से निकलकर हमें गंभीरता से इस अछूत कृत्य को रोकना चाहिए, वर्ना यह जूता विरोध प्रदर्शन की सीमा से निकलकर जहां, तहां सामान्य चर्चा सत्रों व आम बैठकों में भी नजर आने लगेगा। आप भी अपनी राय दर्ज कराएं...
1 comment:
no its not a result of shoes thrown at Mr. Bush but in india sometime it is also said "juta say maro'
some local comments can be listen generally regarding shoes
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